इस लेख में हम आपको कछुआ और खरगोश की कहानी (Kachua aur Khargosh ki Kahani) बताएंगे। तो चलिए इस Rabbit and Tortoise Story in Hindi को शुरू करते है।
कछुआ और खरगोश की कहानी – Rabbit and Tortoise Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश अपनी तेज़ दौड़ने की क्षमता पर बहुत घमंड करता था, जबकि कछुआ अपनी धीमी चाल के कारण जाना जाता था, लेकिन वह हमेशा शांत और संतोषपूर्ण रहता था।
एक दिन घमंडी खरगोश ने कछुए का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “तुम तो बहुत धीमे चलते हो, तुम्हें देखकर लगता है कि तुम कभी किसी दौड़ में नहीं जीत सकते।”
कछुए ने नम्रता और शांतिपूर्ण ढंग से जवाब दिया, “मुझे अपनी धीमी चाल पर कोई शर्म नहीं है। लेकिन अगर तुम चाहो, तो हम दोनों दौड़ लगा सकते हैं।” खरगोश को यह सुनकर हंसी आ गई, लेकिन उसने चुनौती स्वीकार कर ली।
यह भी पढ़ें – मूर्ख कछुआ की कहानी
दोनों के बीच दौड़ प्रारंभ हुई। खरगोश अपनी तेज़ गति से दौड़ते हुए बहुत आगे निकल गया और उसने देखा कि कछुआ बहुत पीछे रह गया है। उसने सोचा, “कछुआ तो बहुत दूर है, क्यों न थोड़ी देर आराम कर लिया जाए।” यह सोचकर खरगोश एक पेड़ के नीचे सो गया।
वहीं दूसरी ओर, कछुआ धीरे-धीरे मगर निरंतर चलता रहा। उसने आराम करने के बारे में सोचा भी नहीं और अपनी चाल जारी रखी। वह अपने लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे बढ़ता रहा। कुछ ही समय में कछुआ लक्ष्य के एकदम करीब पहुंच गया।
उसने रास्ते में कोई भी रुकावट नहीं आने दी और अपनी चाल जारी रखी। आखिरकार, कछुआ उस स्थान पर पहुँच गया जहाँ दौड़ खत्म होनी थी।
जब घमंडी खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लक्ष्य के एकदम पास पहुंच चुका था। खरगोश तेजी से दौड़कर लक्ष्य के पास पहुंचने की पूरी कोशिश की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए रेस जीत गया।
यह भी पढ़ें –
शिक्षा (Moral of Story)
इस Kachua aur Khargosh ki Kahani से हमें ये शिक्षा मिलती है कि अगर कोई व्यक्ति धैर्य, निरंतरता और दृढ़ संकल्प के साथ काम करता है तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होगी। वहीं दूसरी ओर घमंडी और आलसी को कभी सफलता नहीं मिलती।