इस लेख में हम आपको मूर्ख कछुआ की कहानी (Murkh Kachhua ki Kahani) बताएंगे। तो चलिए इस The foolish tortoise Story को शुरू करते है।
मूर्ख कछुआ की कहानी – Murkh Kachhua ki Kahani
बहुत समय की बात है, एक घने जंगल में एक तालाब था जिसमें एक कछुआ रहता था। उसके बहुत अच्छे दो मित्र थे, जो बगुले थे। तीनों बहुत अच्छे मित्र थे और अक्सर एक साथ ही समय बिताया करते थे।
एक बार, जंगल के उस इलाके में बर्षा नहीं हुई जिससे सूखा पड़ गया और तालाब का पानी सूखने लगा। कछुआ बहुत अधिक चिंतित हो गया कि अगर तालाब सूख गया, तो वह कैसे जिंदा रहेगा। उसने अपने बगुले दोस्तों से सहायता मांगी।
बगुलों ने कछुए की चिंता को समझा और उसे दिलाशा दिलाते हुआ बोला, “चिंता मत करो मित्र, हम तुम्हारी सहायता जरूर करेंगे। हम तुम्हें एक सुरक्षित जगह ले जाएंगे, जहाँ ढेर सारा पानी हो।”
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दोनों बगुलों ने एक योजना बनाई। उन्होंने एक मजबूत लकड़ी का टुकड़ा लिया और कछुए से कहा, “तुम इस लकड़ी के टुकड़े को अपने मुँह से कसकर पकड़ लो, हम लकड़ी के दोनों सिरों को अपनी चोंच से पकड़कर उड़ेंगे और तुम्हें एक सुरक्षित स्थान पर ले चलेंगे। लेकिन एक बात का ध्यान रखना – उड़ान के दौरान तुम अपना मुँह मत खोलना, वरना तुम नीचे गिर जाओगे।”
कछुआ उनकी बात मान गया और लकड़ी को अपने मुँह से कसकर पकड़ लिया। बगुलों ने लकड़ी के दोनों सिरों को अपनी चोंच से पकड़ा और उड़ान भर दी।
जब वे ऊँचाई पर उड़ रहे थे, तो नीचे के गाँव के लोगों ने यह अजीब दृश्य देखा। लोग कछुए को आकाश में उड़ते हुए देखकर हैरान रह गए और चिल्लाने लगे, “देखो! एक कछुआ उड़ रहा है! कितना अद्भुत नजारा है!”
कछुआ उन लोगों की बातें सुन रहा था और उसकी तारीफ सुनकर बहुत प्रस्नन हो गया। लेकिन वह यह भूल गया कि उसे अपना मुँह नहीं खोलना है। अपनी प्रशंसा सुनकर, वह खुद को रोक नहीं पाया और कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोल दिया।
जैसे ही कछुए ने मुँह खोला, वह लकड़ी छोड़कर नीचे गिर गया और सीधा जमीन पर आकर गिरा। दुर्भाग्य से, वह गिरने से मर गया।
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शिक्षा (Moral of Story)
इस Murkh Kachhua ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी ज़ुबान पर हमेशा काबू रखना चाहिए और अपनी बुद्धि का सही उपयोग करना चाहिए।