इस लेख में हम आपको दो बकरी और बाघ की कहानी (Do Bakri aur Bagh ki Kahani) बताएंगे। तो चलिए इस Two Goat and Tiger Story in Hindi को शुरू करते है।
दो बकरी और बाघ – Do Bakri aur Bagh ki Kahani
एक जंगल में दो बकरियाँ रहा करती थीं, जिनमें बहुत गहरी दोस्ती थी। वे दोनों हमेशा साथ रहतीं, साथ चरतीं, और साथ में नदी पर पानी पीने जाती थीं। एक दिन, जंगल में बहुत खूंखार बाघ आ गया। सभी जानवर डर गए और अपने-अपने घरों में छिप गए।
बाघ ने सोचा कि वह अपने शिकार के लिए नदी के पास जाएगा, क्योंकि सभी जानवर पानी पीने वहीं आते हैं। जैसे ही बाघ नदी के पास पहुँचा, उसने देखा कि दोनों बकरियाँ वहाँ पानी पी रही थीं।
बाघ ने मन ही मन सोचा, “आज तो दो शिकार एक साथ मिल गया!”
लेकिन बकरियों ने जैसे ही बाघ को देखा, वे घबराई नहीं। वे समझदार और बहादुर थीं। उनमें से एक बकरी ने बाघ से कहा, “हे बाघराज, हमें मारने से पहले ज़रा सुनो। हम जानते हैं कि आप भूखे हैं और हमें खाना चाहते हैं। लेकिन हम भी अपनी जान बचाने के लिए कुछ करना चाहती हैं।”
बाघ ने थोड़ा आश्चर्यचकित होकर पूछा, “तुम्हारा क्या मतलब है?”
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दूसरी बकरी ने कहा, “हमने सुना है कि आप बहुत शक्तिशाली और बुद्धिमान हैं। आपसे मुकाबला करना हमारे बस की बात नहीं। लेकिन हमें यह भी पता है कि आप ईमानदार और न्यायप्रिय हैं। तो क्यों न हम एक समझौता करें? हम दोनों बकरियाँ आपके सामने एक-एक करके आएँगी। जो भी आपको पहले पसंद आए, आप उसे खा सकते हैं।”
बाघ ने सोचा कि यह तो आसान शिकार होगा। उसने हामी भर दी और कहा, “ठीक है, मैं मान गया। तुम दोनों एक-एक करके मेरे पास आओ।”
पहली बकरी धीरे-धीरे बाघ की ओर बढ़ी और बोली, “हे बाघराज, कृपया मुझे पहले मौका दें।” जैसे ही वह बाघ के पास पहुंची, उसने अपनी सारी ताकत से बाघ को सींगों से मारा और बाघ को घायल कर दिया।
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बाघ इतनी चोट से चौंक गया और दर्द से कराहने लगा। इससे पहले कि वह खुद को संभाल पाता, दूसरी बकरी ने भी तेजी से बाघ पर हमला कर दिया और उसे फिर से जोरदार धक्का दिया। बाघ समझ गया कि ये बकरियाँ बहादुर और चालाक हैं, और यह भी कि उसके लिए अब वहाँ से भागना ही बेहतर होगा।
बाघ वहां से भाग खड़ा हुआ और जंगल के भीतर गायब हो गया। दोनों बकरियाँ अपनी बुद्धिमानी और साहस के कारण बच गईं और हंसते-हंसते अपने रास्ते चली गईं।
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शिक्षा (Moral of Story)
इस Do Bakri aur Bagh ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है हिम्मत और समझदारी से बड़े से बड़ा खतरा भी टाला जा सकता है, इसलिए हमें हमेशा संकट के समय धैर्य और साहस से काम लेना चाहिए।