79+ Panchtantra ki Kahani | पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां

इस लेख में हम आपको बच्चों के लिए पंचतंत्र की कहानियां (Panchtantra ki Kahani) बताएंगे। यह लेख खासकर उन बच्चों को ध्यान में रखकर लिखा गया है, जो पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां (Panchtantra ki Kahaniyan) पढ़ना चाहते है। तो चलिए इस Panchtantra Story in Hindi लेख को शुरू करते है।

Panchtantra ki Kahani
Panchtantra ki Kahani

Panchtantra ki Kahani – पंचतंत्र की कहानियां

दोस्तों, यहां हम आपको विश्वभर की विभिन्न Panchtantra ki Kahani बताएंगे, जो बच्चों को नैतिक शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करेगी।

शेर और चूहे की कहानी

Panchtantra ki Kahani
Panchtantra ki Kahani

एक समय की बात है एक घनी जंगल में एक शेर रहता था, जो जंगल का राजा था। एक दिन दोपहर के समय शिकार को खाने के बाद वह एक पेड़ के नीचे चैन की नींद सो रहा था।

तभी उसे पेड़ के नीचे एक बिल में रहने वाला चूहा बाहर आया जैसे ही चूहे ने शेर को सोता हुआ देखा तो उसे मस्ती सूझी वह शेर के ऊपर चढ़कर कूदने लगा, जिसमें चूहे को बहुत मजा आ रहा था।

चूहा की इस हरकत से शेर नींद से जग गया और गुस्से में जोर से दहाड़ कर उठ गया। शेर के उठते ही चूहा दौड़कर अपने बिल में जाकर छुप गया। शेर ने इधर-उधर देखा उसे कोई नहीं दिख तो शेर वापस गहरी नींद सो गया।

शेर के सो जाने पर चूहा फिर से अपने बिल से निकाला और शेर पर जाकर कूदने लगा। उसकी पुछ पर एक सिरे पर चढ़ना और दूसरे सिरे से नीचे उतर जाता तो कभी धीरे-धीरे जाता और शेर के बाल खींचकर अपने बिल में घुस जाता बार-बार शेर की नींद खराब होती वह उठकर इधर-उधर देखाकोई नजर नहीं आता।

वह परेशान होता हुआ देख रहा था इस बार जैसे ही शेर सोया तो चूहे ने उसकी पूछ के बाल खींचने का निश्चय किया और जैसे ही उसकी पूछ के पास पहुंचा शेर ने झट से चूहे को उसके पंजे में पकड़ लिया। अब चूहा समझ गया कि उसकी वजह से शहर की नींद खराब हुई है और वह बहुत गुस्से में है।

इसलिए चूहे ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए शेर से भीख मांगनी शुरू कर दी और कहने लगा महाराज मुझे छोड़ दीजिए मुझे छोड़ दीजिए मैं तो एक नन्हा सा चूहा हूं। मैंने गलती से आपके साथ शरारत कर दी लेकिन अगर आप मुझे छोड़ देंगे तो मैं आपका यह एहसान कभी भी नहीं भूलूंगा जब भी आपको जरूरत होगी तो मैं आपकी मदद के लिए जरूर आऊंगाजो।

यह बात सुनकर शेर जोर-जोर से हंसने लगा और बोला तुम एक छोटे से चूहे मेरी मदद करोगे। मैं अभी-अभी शिकार खाया है जिससे मेरा पेट भरा हुआ है इसलिए मैं तुम्हें जिंदा छोड़ रहा हूं वरना मैं तुम्हें अभी खा जाता।

यह कहकर शेर उस चूहे को छोड़ दिया चूहा भी शेर को धन्यवाद कहकर वहां से दौड़ा हुआ चला गया। कुछ दिनों बाद जंगल में शेर का शिकार करने के लिए कुछ शिकारी आए उन्होंने शेर को पकड़ने के लिए एक जाल बिछाया। शेर इधर-उधर घूम रहा था घूमता हुआ वह शिकारी के बिछाए हुए जल में फंस गया। शिकारी शेर को जाल में फंसा देखकर गांव से पिंजरा लेने के लिए चले गए।

शेर जाल में फंसा हुआ बहुत जोर-जोर से दहाड़ने लगा शेर की दहाड़ उसे चूहे ने और जंगल के दूसरे जानवरों ने भी सुनी। चूहे ने शेर की मदद करने के लिए उसके पास पहुंचा।

शेर को जाल में फंसा हुआ देखकर चूहे को एक आइडिया आया। चूहे ने उसे जल के ऊपर चढ़कर अपने तेज दांतों से जाल को जल्दी-जल्दी काटना शुरु कर दिया। थोड़ी ही देर में उसने जल को काट दिया जिससे शहर जल से मुक्त हो गया।

इसके बाद शेर ने चूहे को धन्यवाद किया। इस पर चूहे ने शेर से कहा कि मैं आपको उसे दिन कहा था कि जब भी आपको मदद की जरूरत पड़ेगी मैं आपकी मदद करूंगा, लेकिन आपने मेरी बात को मजाक में लिया था। शेर को चूहे की यह बात याद आई और उसे शर्मिंदगी मसहूस हुआ।

इसके बाद शेर ने चूहे से कहा कि आज से तुम मेरे दोस्त हो तुम्हें जब भी किसी भी सहायता की जरूरत हो तो तुम मुझसे कह सकते हो। इसके बाद चूहा वहां से जाने लगा तो शेर बोल क्या तुम आज मेरी पीठ पर नहीं कूदना चाहोगे। जब चूहे ने शेर की यह बात सुनी तो वह खुशी से शहर की पीठ पर चढ़कर कूदने लगा।

चूहा शेर की पीठ पर खुद ही रहा था कि शिकारी पिंजरा लेकर शेर को लेने के लिए जंगल में पहुंच गए जब वह शेर के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा की जाल तो कटा पड़ा है और शेर बाहर खड़ा है, यह देखकर वह बहुत डर गए। इसके बाद शेर ने जोर से दहाड़ कर शिकारी को वहां से भगा दिया।

इस Panchtantra ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें किसी को भी कम नहीं समझना चाहिए कुछ नहीं पता किस वक्त में कौन हमारे काम आ जाए।

दो बकरी और बाघ की कहानी

panchtantra ki kahaniyan
Panchtantra ki Kahaniyan

एक जंगल में दो बकरियाँ रहा करती थीं, जिनमें बहुत गहरी दोस्ती थी। वे दोनों हमेशा साथ रहतीं, साथ चरतीं, और साथ में नदी पर पानी पीने जाती थीं। एक दिन, जंगल में बहुत खूंखार बाघ आ गया। सभी जानवर डर गए और अपने-अपने घरों में छिप गए।

बाघ ने सोचा कि वह अपने शिकार के लिए नदी के पास जाएगा, क्योंकि सभी जानवर पानी पीने वहीं आते हैं। जैसे ही बाघ नदी के पास पहुँचा, उसने देखा कि दोनों बकरियाँ वहाँ पानी पी रही थीं।

बाघ ने मन ही मन सोचा, “आज तो दो शिकार एक साथ मिल गया!”

लेकिन बकरियों ने जैसे ही बाघ को देखा, वे घबराई नहीं। वे समझदार और बहादुर थीं। उनमें से एक बकरी ने बाघ से कहा, “हे बाघराज, हमें मारने से पहले ज़रा सुनो। हम जानते हैं कि आप भूखे हैं और हमें खाना चाहते हैं। लेकिन हम भी अपनी जान बचाने के लिए कुछ करना चाहती हैं।”

बाघ ने थोड़ा आश्चर्यचकित होकर पूछा, “तुम्हारा क्या मतलब है?”

दूसरी बकरी ने कहा, “हमने सुना है कि आप बहुत शक्तिशाली और बुद्धिमान हैं। आपसे मुकाबला करना हमारे बस की बात नहीं। लेकिन हमें यह भी पता है कि आप ईमानदार और न्यायप्रिय हैं। तो क्यों न हम एक समझौता करें? हम दोनों बकरियाँ आपके सामने एक-एक करके आएँगी। जो भी आपको पहले पसंद आए, आप उसे खा सकते हैं।”

बाघ ने सोचा कि यह तो आसान शिकार होगा। उसने हामी भर दी और कहा, “ठीक है, मैं मान गया। तुम दोनों एक-एक करके मेरे पास आओ।”

पहली बकरी धीरे-धीरे बाघ की ओर बढ़ी और बोली, “हे बाघराज, कृपया मुझे पहले मौका दें।” जैसे ही वह बाघ के पास पहुंची, उसने अपनी सारी ताकत से बाघ को सींगों से मारा और बाघ को घायल कर दिया।

बाघ इतनी चोट से चौंक गया और दर्द से कराहने लगा। इससे पहले कि वह खुद को संभाल पाता, दूसरी बकरी ने भी तेजी से बाघ पर हमला कर दिया और उसे फिर से जोरदार धक्का दिया। बाघ समझ गया कि ये बकरियाँ बहादुर और चालाक हैं, और यह भी कि उसके लिए अब वहाँ से भागना ही बेहतर होगा।

बाघ वहां से भाग खड़ा हुआ और जंगल के भीतर गायब हो गया। दोनों बकरियाँ अपनी बुद्धिमानी और साहस के कारण बच गईं और हंसते-हंसते अपने रास्ते चली गईं।

इस Panchtantra ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है हिम्मत और समझदारी से बड़े से बड़ा खतरा भी टाला जा सकता है, इसलिए हमें हमेशा संकट के समय धैर्य और साहस से काम लेना चाहिए।

लोमड़ी और अंगूर की कहानी

panchtantra ki kahaniyan
Panchtantra Story in Hindi

एक समय की बात है, एक भूखी लोमड़ी जंगल में खाने की तलाश में घूम रही थी। घूमते-घूमते वह एक बगीचे में पहुंची जहाँ उसे अंगूरों की एक बेल दिखाई दी। बेल पर अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे, और वे बहुत ही रसीले और स्वादिष्ट दिख रहे थे।

लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया और उसने सोचा, “इन अंगूरों को खाकर मेरी भूख मिट जाएगी।”

लोमड़ी ने अंगूरों के गुच्छों तक पहुँचने के लिए ऊँची छलांग लगाई, लेकिन वह उन तक पहुँच नहीं पाई। उसने फिर से छलांग लगाई, लेकिन इस बार भी वह असफल रही। बार-बार कोशिश करने के बावजूद लोमड़ी अंगूरों तक नहीं पहुँच पाई।

अंत में, थककर और निराश होकर, लोमड़ी ने सोचा, “ये अंगूर तो खट्टे होंगे। इनका स्वाद अच्छा नहीं होगा।” ऐसा कहकर वह वहां से चली गई।

इस Panchtantra Story in Hindi से हमें शिक्षा मिलती है कि जब हम किसी चीज़ को हासिल नहीं कर पाते, तो हम अक्सर बहाने बनाते हैं और यह कहकर खुद को तसल्ली देते हैं कि वह चीज़ हमारे लिए नहीं थी।

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गरीब किसान की कहानी – Panchtantra ki Kahaniyan

Panchtantra Story in Hindi
Panchtantra Story

एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक गरीब किसान रहता था। मोहन के पास खेती करने के लिए बस एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा था। वह दिन-रात मेहनत करता, लेकिन उसके पास इतने साधन नहीं थे कि वह ज़मीन से ज्यादा उपज निकाल सके। सालों से वह कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन रहा था, फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी।

मोहन के पास अपने परिवार का पेट पालने के लिए फसल के अलावा कोई और दूसरा साधन नहीं था। बारिश का भरोसा भी नहीं था, कभी ज्यादा वर्षा हो जाती, जिससे उसकी फसल बर्बाद हो जाती, और कभी सूखा पड़ जाता, जिससे उसकी मेहनत बेकार हो जाती।

एक बार गांव में बहुत भयंकर सूखा पड़ा। गांव के लगभग सभी किसानों की फसलें सूख गई, जिससे लोग भूखे मरने की स्थिति में आ गए। मोहन भी बहुत हताश था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। वह अपने खेतों में अकेले पानी देने की कोशिश करता रहा। दिन-रात मेहनत करने के बाद भी फसलें उगाने में उसे बहुत कठिनाइयां आई, लेकिन उसने अपना हौसला बनाए रखा।

मोहन ने नए तरीकों से खेती करने के बारे में सोचा। उसने गाँव के बुजुर्गों से सलाह ली और जड़ी-बूटियों से संबंधित कुछ पौराणिक तरीकों को अपनाया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी, और उसके खेतों में हरियाली आने लगी।

जब गांववासी रामू की मेहनत और उसकी हिम्मत को देखते, तो वे भी प्रेरित होते। देखते ही देखते कुछ समय बाद, रामू की फसल पूरी तैयार हो गई, और वह उसे बेचकर अपने परिवार के लिए अनाज और अन्य आवश्यक सामान खरीद पाया।

इस Panchtantra ki Kahani हमें शिक्षा मिलती है कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, हिम्मत और मेहनत से उनका सामना करना चाहिए है।

मूर्ख कछुआ की कहानी

Panchtantra Stories in Hindi
Panchtantra Stories in Hindi

बहुत समय की बात है, एक घने जंगल में एक तालाब था जिसमें एक कछुआ रहता था। उसके बहुत अच्छे दो मित्र थे, जो बगुले थे। तीनों बहुत अच्छे मित्र थे और अक्सर एक साथ ही समय बिताया करते थे।

एक बार, जंगल के उस इलाके में बर्षा नहीं हुई जिससे सूखा पड़ गया और तालाब का पानी सूखने लगा। कछुआ बहुत अधिक चिंतित हो गया कि अगर तालाब सूख गया, तो वह कैसे जिंदा रहेगा। उसने अपने बगुले दोस्तों से सहायता मांगी।

बगुलों ने कछुए की चिंता को समझा और उसे दिलाशा दिलाते हुआ बोला, “चिंता मत करो मित्र, हम तुम्हारी सहायता जरूर करेंगे। हम तुम्हें एक सुरक्षित जगह ले जाएंगे, जहाँ ढेर सारा पानी हो।”

दोनों बगुलों ने एक योजना बनाई। उन्होंने एक मजबूत लकड़ी का टुकड़ा लिया और कछुए से कहा, “तुम इस लकड़ी के टुकड़े को अपने मुँह से कसकर पकड़ लो, हम लकड़ी के दोनों सिरों को अपनी चोंच से पकड़कर उड़ेंगे और तुम्हें एक सुरक्षित स्थान पर ले चलेंगे। लेकिन एक बात का ध्यान रखना – उड़ान के दौरान तुम अपना मुँह मत खोलना, वरना तुम नीचे गिर जाओगे।”

कछुआ उनकी बात मान गया और लकड़ी को अपने मुँह से कसकर पकड़ लिया। बगुलों ने लकड़ी के दोनों सिरों को अपनी चोंच से पकड़ा और उड़ान भर दी।

जब वे ऊँचाई पर उड़ रहे थे, तो नीचे के गाँव के लोगों ने यह अजीब दृश्य देखा। लोग कछुए को आकाश में उड़ते हुए देखकर हैरान रह गए और चिल्लाने लगे, “देखो! एक कछुआ उड़ रहा है! कितना अद्भुत नजारा है!”

कछुआ उन लोगों की बातें सुन रहा था और उसकी तारीफ सुनकर बहुत प्रस्नन हो गया। लेकिन वह यह भूल गया कि उसे अपना मुँह नहीं खोलना है। अपनी प्रशंसा सुनकर, वह खुद को रोक नहीं पाया और कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोल दिया।

जैसे ही कछुए ने मुँह खोला, वह लकड़ी छोड़कर नीचे गिर गया और सीधा जमीन पर आकर गिरा। दुर्भाग्य से, वह गिरने से मर गया।

इस Panchtantra ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी ज़ुबान पर हमेशा काबू रखना चाहिए और अपनी बुद्धि का सही उपयोग करना चाहिए।

अक्लमंद आदमी और शेर की कहानी

Hindi Panchtantra Story
Hindi Panchtantra Story

एक समय की बात है, राहुल नामक एक व्यक्ति घने जंगल से जा रहा था। अचानक, उसके सामने एक आदमखोर शेर आ गया। शेर बहुत भूखा था, राहुल को देखते ही जोर जोर से गरजने लगा।

राहुल डर गया और अपनी जान बचाने की उपाय सोचने लगा। उसने शेर से कहा, “जंगलराज, मैं जानता हूं कि आप मुझे खाना चाहते हैं, लेकिन मेरे पास एक तरकीब है जिससे आपकी भूख हमेशा के लिए मिट सकती है।”

शेर ने पूछा, “कैसी तरकीब?”

राहुल ने उत्तर दिया, “अगर आप मुझे नहीं खाएंगे, तो मैं आपको एक ऐसा जादूगर से मिलाऊंगा जो आपको कभी भूखा नहीं रहने देगा।”

शेर ने मानो मन सोचा, “अगर यह व्यक्ति वाकई सच कह रहा है, तो मेरी भूख हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी।” उसने आदमी को जाने दिया और कहा, “ठीक है, मुझे उस जादूगर से मिलाओ।”

राहुल ने शेर को एक बड़े पेड़ के पास ले जाकर कहा, “वो चमत्कारी जादूगर इसी पेड़ के अंदर रहता है। आपको बस इस पेड़ के अंदर जाना होगा।” शेर पेड़ के पास गया और पेड़ के अंदर घुसने की कोशिश करने लगा, लेकिन पेड़ के तने में फंस गया।

राहुल ने तुरंत पेड़ की डालियों और टहनीयों से से शेर को जकड़ दिया और उसे बंदी बना लिया। उसने शेर से कहा, “अब तुम्हें समझ में आया कि अक्ल ताकत से बड़ी होती है।”

इस Panchtantra ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कठिन समय में हमेशा बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।

शिकारी और कबूतर की कहानी – Panchtantra Story in Hindi

Panchtantra ki Kahani
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बहुत समय पहले की बात है, छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक शिकारी रहता था। वह रोज़ाना अपने शिकार के लिए जंगल जाता और उससे अपने परिवार का पालन-पोषण करता। उस शिकारी के पास एक बड़ा जाल था जिसे वह पक्षियों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल करता था।

एक दिन मोहन ने सोचा, “आज मुझे कुछ बड़ा शिकार करना चाहिए ताकि कई दिनों तक का भोजन मिल सके।” उसने जंगल के अंदर गहराई तक जाने का निर्णय लिया और वहां जाकर अपने जाल को एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बिछा दिया।

मोहन ने जाल को पत्तों और टहनियों से ढक दिया ताकि कोई पक्षी जाल को देख न सके। फिर वह पास की झाड़ियों में छिपकर पक्षीयों के जाल में फसने का इंतजार करने लगा।

बहुत समय बीत गया लेकिन कोई पक्षी उस जाल के पास नहीं आया। शिकारी धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहा था। आखिरकार, आसमान में कबूतरों का एक झुंड दिखाई दिया। वे भूखे थे और जमीन पर दाने की तलाश में उतरे।

कबूतरों का नेता बहुत बुद्धिमान था, उसने नीचे उतरने से पहले अपने सभी कबूतर साथियों को सतर्क किया, “सावधान रहो, नीचे कुछ खतरा हो सकता है। हमें एक साथ रहना चाहिए और ध्यान से देखना चाहिए।”

लेकिन भूख के कारण, कबूतरों ने उसकी बात नहीं मानी और सभी जल्दी-जल्दी नीचे उतर गए। जैसे ही उन्होंने जाल में रखे दाने देखे, वे बिना कुछ सोचे-समझे खाने लगे। मोहन ने जैसे ही देखा कि कबूतर जाल में फंस गए हैं, वह झाड़ियों से बाहर निकला और खुशी से चिल्लाया, “आज तो मेरा काम बन गया!” उसने जाल को खींचना शुरू किया।

कबूतर जाल में फंसे होने के कारण बहुत घबरा गए। उन्होंने अपनी गलती का एहसास किया और मदद के लिए अपने नेता की ओर देखा। नेता कबूतर ने तुरंत समझ लिया कि एकजुटता ही उन्हें बचा सकती है। उसने सबको आदेश दिया, “हम सबको एक साथ मिलकर उड़ना होगा। जाल भारी है, लेकिन अगर हम सब मिलकर पूरी ताकत से उड़ें, तो हम इसे लेकर उड़ सकते हैं।”

सभी कबूतरों ने एक साथ अपने पंख फड़फड़ाए और ज़ोर लगाकर उड़ने की कोशिश की। धीरे-धीरे जाल ज़मीन से ऊपर उठने लगा। मोहन यह देखकर हैरान रह गया कि उसके जाल के साथ सारे कबूतर उड़ रहे हैं। वह जाल को पकड़ने की कोशिश करने लगा, लेकिन कबूतर बहुत तेज़ी से उड़ रहे थे। अंत में, शिकारी को हार माननी पड़ी और उसने जाल को छोड़ दिया।

कबूतर अपने नेता के निर्देश पर उड़ते रहे और एक सुरक्षित जगह की तलाश करने लगे। कुछ ही देर में वे एक बड़े पेड़ के पास पहुँचे जहाँ एक चतुर चूहा रहता था। नेता कबूतर ने चूहे से कहा, “दोस्त, कृपया हमारी मदद करो। हम इस जाल में फंस गए हैं और हमें आज़ाद होना है।”

चूहा बहुत दयालु था। उसने कहा, “तुम सबने मिलकर अपनी बुद्धिमानी से खुद को बचा लिया। मैं तुम्हारी सहायता जरूर करूंगा।” उसने अपने नुकीले दाँतों से जाल को काटना शुरू किया। थोड़ी ही देर में, जाल के धागे टूटने लगे और सारे कबूतर आज़ाद हो गए।

इस Panchtantra Story से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा संकट के समय धैर्य और साहस से काम लेना चाहिए। अगर हम मिलकर किसी चुनौती का सामना करते हैं, तो कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती।

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बगुला भगत और केकड़ा की कहानी

Panchtantra ki Kahani
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बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बड़ा-सा तालाब था। उस तालाब में कई तरह के जीव-जंतु रहते थे जैसे मछलियां, मेंढक, केकड़े आदि। उसी तालाब के आस-पास एक बगुला भी रहता था, जिसे अब बूढ़ा होने के कारण मछलियों का शिकार करने में कठिनाई होता था। भूख से परेशान बगुले ने एक बेहतरीन उपाय सोची।

बगुला तालाब के किनारे उदास और चिंता में डूबा हुआ बैठा रहा। तालाब के जीव-जंतु उसकी यह हालत देखकर उसके पास आए और पूछा, “बगुला भाई, तुम इतने उदास क्यों हो?”

बगुला भगत ने बड़ी चतुराई से कहा, “मैंने सुना है कि इस तालाब का पानी बहुत जल्द ही सूखने वाला है। यहां के सभी जीव-जंतु पानी के बिना मर जाएंगे।”

यह सुनकर सभी पानी के सभी जीव-जंतु बहुत चिंतित हो गए और बगुले से उपाय पूछने लगे।

बगुले ने कहा, “मेरे पास एक सुझाव है। पास के एक बड़े तालाब में बहुत सारा पानी है। मैं तुम सबको एक-एक करके वहां ले जा सकता हूं।”

मछलियों और अन्य जीवों को बगुले की बात पर विश्वास हो गया और वे उसकी बात मान गए। बगुला रोज़ एक-एक मछली को अपनी चोंच में उठाकर लेकर जाने लगा। लेकिन वास्तव में वह उन्हें दूसरे तालाब तक ले जाने के बजाय, एकांत जगह पर ले जाकर खा जाता था। कई दिन ऐसे ही बीत गए।

एक दिन, एक केकड़ा बगुले से बोला, “बगुला भाई, इस बार मुझे भी उस बड़े तालाब में ले चलो।” बगुला मान गया और केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा लिया।

बगुला जब केकड़े को ले जा रहा था, तब केकड़े ने रास्ते में चारों ओर देखा और वहां मछलियों की हड्डियां बिखरी हुई देखीं। केकड़ा समझ गया कि बगुला भगत सबको धोखा दे रहा है। उसने तुरंत अपनी टांगों से बगुले की गर्दन पकड़ ली और उसे जान से मार डाला।

केकड़ा सही सलामत वापस तालाब में आ गया और बाकी सभी जीवों को बगुले की धोखेबाजी के बारे में बताया। सबने मिलकर केकड़े की बहादुरी की खूब तारीफ की और सभी तालाब के जीव-जंतुओं को बगुले भगत से छुटकारा मिल गई।

इस Panchtantra ki Kahani से हमें सीख मिलती है चालाकी और धोखा लंबे समय तक नहीं चलता। इसलिए कभी किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए नहीं तो इसका परिणाम हमेशा घातक होता है।

कछुआ और खरगोश की कहानी

Panchtantra ki Kahaniyan
Panchtantra ki Kahaniyan

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश अपनी तेज़ दौड़ने की क्षमता पर बहुत घमंड करता था, जबकि कछुआ अपनी धीमी चाल के कारण जाना जाता था, लेकिन वह हमेशा शांत और संतोषपूर्ण रहता था।

एक दिन घमंडी खरगोश ने कछुए का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “तुम तो बहुत धीमे चलते हो, तुम्हें देखकर लगता है कि तुम कभी किसी दौड़ में नहीं जीत सकते।”

कछुए ने नम्रता और शांतिपूर्ण ढंग से जवाब दिया, “मुझे अपनी धीमी चाल पर कोई शर्म नहीं है। लेकिन अगर तुम चाहो, तो हम दोनों दौड़ लगा सकते हैं।” खरगोश को यह सुनकर हंसी आ गई, लेकिन उसने चुनौती स्वीकार कर ली।

दोनों के बीच दौड़ प्रारंभ हुई। खरगोश अपनी तेज़ गति से दौड़ते हुए बहुत आगे निकल गया और उसने देखा कि कछुआ बहुत पीछे रह गया है। उसने सोचा, “कछुआ तो बहुत दूर है, क्यों न थोड़ी देर आराम कर लिया जाए।” यह सोचकर खरगोश एक पेड़ के नीचे सो गया।

वहीं दूसरी ओर, कछुआ धीरे-धीरे मगर निरंतर चलता रहा। उसने आराम करने के बारे में सोचा भी नहीं और अपनी चाल जारी रखी। वह अपने लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे बढ़ता रहा। कुछ ही समय में कछुआ लक्ष्य के एकदम करीब पहुंच गया।

उसने रास्ते में कोई भी रुकावट नहीं आने दी और अपनी चाल जारी रखी। आखिरकार, कछुआ उस स्थान पर पहुँच गया जहाँ दौड़ खत्म होनी थी।

जब घमंडी खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लक्ष्य के एकदम पास पहुंच चुका था। खरगोश तेजी से दौड़कर लक्ष्य के पास पहुंचने की पूरी कोशिश की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए रेस जीत गया।

इस Panchtantra ki Kahani से हमें ये शिक्षा मिलती है कि अगर कोई व्यक्ति धैर्य, निरंतरता और दृढ़ संकल्प के साथ काम करता है तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होगी। वहीं दूसरी ओर घमंडी और आलसी को कभी सफलता नहीं मिलती।

चींटी और टिड्डा की कहानी – Panchtantra ki Kahani

Panchtantra Story in Hindi
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एक समय की बात हैं। एक हरे-भरे जंगल में गर्मी का मौसम था। चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी। सभी जानवर खुश और संतुष्ट थे। इसी जंगल में एक मेहनती चींटी रहती थी, जो हमेशा अपने काम में लगी रहती थी। गर्मियों के दिनों में वह अपने भोजन का इंतजाम कर रही थी, ताकि सर्दी के कठोर मौसम में उसे भूखा न रहना पड़े। वह दिन-रात मेहनत करके अपने बिल में अनाज के दाने जमा कर रही थी।

दूसरी ओर, उसी जंगल में एक टिड्डा रहता था, जो बिल्कुल भी मेहनत नहीं करता था। वह दिन भर गाना गाता, मस्ती करता और आराम से समय बिताता। उसे खाने-पीने की कोई चिंता नहीं थी।

टिड्डा चींटी को देखकर उसका मज़ाक उड़ाता और कहता, “अरे, चींटी बहन! क्यों इतनी मेहनत कर रही हो? आओ, मेरे साथ बैठो, गाना गाओ और मस्ती करो। जीवन का आनंद लो!”

चींटी टिड्डे की बातों पर हँसती और कहती, “टिड्डे भाई, मैं सर्दी के लिए अनाज जमा कर रही हूँ। जब सर्दी आएगी और बर्फबारी होगी, तो हमें खाने के लिए कुछ भी नहीं मिलेगा। इसीलिए मैं अभी से तैयारी कर रही हूँ।” लेकिन टिड्डा चींटी की बातों को अनसुना कर देता और अपनी मस्ती में मग्न रहता।

समय बीतता गया, और जल्द ही सर्दी का मौसम आ गया। ठंड और बर्फबारी ने जंगल को ढक लिया। सभी जानवर अपने-अपने घरों में दुबक गए, और भोजन की कमी होने लगी।

टिड्डा, जो पूरे समय मौज-मस्ती में लगा हुआ था, अब परेशान हो गया। उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था, और ठंड से बचने का भी कोई साधन नहीं था।

भूख और ठंड से बेहाल टिड्डा इधर-उधर भटकने लगा। तभी उसे चींटी की याद आई। वह चींटी के बिल के पास पहुँचा और दरवाजा खटखटाया। टिड्डे ने चींटी से विनम्रता से कहा, “चींटी बहन, कृपया मेरी मदद करो। मैं भूखा हूँ और ठंड से काँप रहा हूँ। क्या तुम मुझे कुछ खाने के लिए दे सकती हो?”

चींटी ने दरवाजा खोला और टिड्डे से कहा, “टिड्डे भाई, गर्मियों में जब मैं कड़ी मेहनत कर रही थी, तो तुमने मेरी बात नहीं मानी। तुमने अपना समय मौज-मस्ती में बर्बाद कर दिया। अब, जब सर्दी आ गई है, तो मुझे माफ़ करना, पर मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है, और आलस्य का परिणाम दुःखद।”

टिड्डा शर्मिंदा होकर वहां से चला गया। उसने कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता का मूल्य समझा। इस तरह, चींटी और टिड्डे की कहानी हमें सिखाती है कि समय का सदुपयोग करना चाहिए और भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए।

इस Panchtantra ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा कड़ी मेहनत करनी चाहिए और भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए।

कौवा और उल्लू की कहानी

Panchtantra ki Kahani
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बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में कौवा और उल्लू रहा करते थे। कौवा दिन में उड़ता और खाना ढूंढता, जबकि उल्लू रात में शिकार करता। एक दिन कौवे और उल्लू में किसी बात पर बहस हो गई कि कौन ज्यादा समझदार है।

कौवे का कहना था कि वह ज्यादा समझदार है क्योंकि वह दिन में सब कुछ देख सकता है और आसानी से खाना ढूंढ सकता है। वहीं, उल्लू का कहना था कि वह रात में देख सकता है और अंधेरे में भी आसानी से शिकार कर सकता है, इसलिए वह ज्यादा समझदार है।

किसी नतीजे पर न पहुँचते हुए, दोनों ने तय किया कि वे एक प्रतियोगिता करेंगे। प्रतियोगिता यह थी कि दोनों एक-दूसरे के समय में शिकार करेंगे।

पहले दिन कौवे ने उल्लू से कहा, “तुम दिन में उड़कर शिकार करके दिखाओ।” उल्लू ने कोशिश की, लेकिन दिन की तेज़ रोशनी में वह कुछ देख नहीं पाया और शिकार करने में असफल रहा।

अगले दिन, उल्लू ने कौवे से कहा, “अब तुम रात में उड़कर शिकार करके दिखाओ।” रात के अंधेरे में कौवे को कुछ भी दिखाई नहीं दिया, और वह भी शिकार करने में असफल रहा।

इस तरह, दोनों समझ गए कि हर किसी का अपना समय और तरीका होता है। दिन के उजाले में कौवा अच्छा शिकार कर सकता है, जबकि रात के अंधेरे में उल्लू। दोनों को अपनी-अपनी विशेषताओं पर गर्व करना चाहिए, और दूसरों की क्षमताओं का सम्मान करना चाहिए।

इस Panchtantra ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखना चाहिए और दूसरों की ताकतों का भी सम्मान करना चाहिए।

Conclusion

तो दोस्तों हमे उम्मीद है हमनें जो आपको बच्चों के लिए पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां (Panchtantra ki Kahani) बताया है वो आपको जरूर पसंद आया होगा।

इस panchtantra story in hindi with moral लेख को अपने परिवार के छोटे बच्चों के साथ शेयर जरूर करें, ताकि वे भी सभी पंचतंत्र की कहानी (Panchtantra ki Kahaniyan) जान पाए।

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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम सौरभ सिंह हैं। मैं इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ, अगर मै अपनी योग्यता की बात करू तो मै BCA का छात्र हूं।

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