शिकारी और कबूतर की कहानी | Shikari aur Kabutar (Hunter and Pigeon)

इस लेख में हम आपको शिकारी और कबूतर की कहानी (Shikari aur Kabutar ki Kahani) बताएंगे। तो चलिए इस Hunter and Pigeon Story या Hunter and Pigeon Story in Hindi को शुरू करते है।

Shikari aur Kabutar ki Kahani
Shikari aur Kabutar

शिकारी और कबूतर – Shikari aur Kabutar ki Kahani

बहुत समय पहले की बात है, छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक शिकारी रहता था। वह रोज़ाना अपने शिकार के लिए जंगल जाता और उससे अपने परिवार का पालन-पोषण करता। उस शिकारी के पास एक बड़ा जाल था जिसे वह पक्षियों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल करता था।

एक दिन मोहन ने सोचा, “आज मुझे कुछ बड़ा शिकार करना चाहिए ताकि कई दिनों तक का भोजन मिल सके।” उसने जंगल के अंदर गहराई तक जाने का निर्णय लिया और वहां जाकर अपने जाल को एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बिछा दिया।

मोहन ने जाल को पत्तों और टहनियों से ढक दिया ताकि कोई पक्षी जाल को देख न सके। फिर वह पास की झाड़ियों में छिपकर पक्षीयों के जाल में फसने का इंतजार करने लगा।

बहुत समय बीत गया लेकिन कोई पक्षी उस जाल के पास नहीं आया। शिकारी धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहा था। आखिरकार, आसमान में कबूतरों का एक झुंड दिखाई दिया। वे भूखे थे और जमीन पर दाने की तलाश में उतरे।

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कबूतरों का नेता बहुत बुद्धिमान था, उसने नीचे उतरने से पहले अपने सभी कबूतर साथियों को सतर्क किया, “सावधान रहो, नीचे कुछ खतरा हो सकता है। हमें एक साथ रहना चाहिए और ध्यान से देखना चाहिए।”

लेकिन भूख के कारण, कबूतरों ने उसकी बात नहीं मानी और सभी जल्दी-जल्दी नीचे उतर गए। जैसे ही उन्होंने जाल में रखे दाने देखे, वे बिना कुछ सोचे-समझे खाने लगे। मोहन ने जैसे ही देखा कि कबूतर जाल में फंस गए हैं, वह झाड़ियों से बाहर निकला और खुशी से चिल्लाया, “आज तो मेरा काम बन गया!” उसने जाल को खींचना शुरू किया।

कबूतर जाल में फंसे होने के कारण बहुत घबरा गए। उन्होंने अपनी गलती का एहसास किया और मदद के लिए अपने नेता की ओर देखा। नेता कबूतर ने तुरंत समझ लिया कि एकजुटता ही उन्हें बचा सकती है। उसने सबको आदेश दिया, “हम सबको एक साथ मिलकर उड़ना होगा। जाल भारी है, लेकिन अगर हम सब मिलकर पूरी ताकत से उड़ें, तो हम इसे लेकर उड़ सकते हैं।”

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सभी कबूतरों ने एक साथ अपने पंख फड़फड़ाए और ज़ोर लगाकर उड़ने की कोशिश की। धीरे-धीरे जाल ज़मीन से ऊपर उठने लगा। मोहन यह देखकर हैरान रह गया कि उसके जाल के साथ सारे कबूतर उड़ रहे हैं। वह जाल को पकड़ने की कोशिश करने लगा, लेकिन कबूतर बहुत तेज़ी से उड़ रहे थे। अंत में, शिकारी को हार माननी पड़ी और उसने जाल को छोड़ दिया।

कबूतर अपने नेता के निर्देश पर उड़ते रहे और एक सुरक्षित जगह की तलाश करने लगे। कुछ ही देर में वे एक बड़े पेड़ के पास पहुँचे जहाँ एक चतुर चूहा रहता था। नेता कबूतर ने चूहे से कहा, “दोस्त, कृपया हमारी मदद करो। हम इस जाल में फंस गए हैं और हमें आज़ाद होना है।”

चूहा बहुत दयालु था। उसने कहा, “तुम सबने मिलकर अपनी बुद्धिमानी से खुद को बचा लिया। मैं तुम्हारी सहायता जरूर करूंगा।” उसने अपने नुकीले दाँतों से जाल को काटना शुरू किया। थोड़ी ही देर में, जाल के धागे टूटने लगे और सारे कबूतर आज़ाद हो गए।

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शिक्षा (Moral of Story)

इस Sikaari aur Kabutar ki Kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा संकट के समय धैर्य और साहस से काम लेना चाहिए। अगर हम मिलकर किसी चुनौती का सामना करते हैं, तो कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती।

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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम सौरभ सिंह हैं। मैं इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ, अगर मै अपनी योग्यता की बात करू तो मै BCA का छात्र हूं।

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